लेखनी कविता -खो के इक शख्स को - फ़िराक़ गोरखपुरी

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खो के इक शख्स को / फ़िराक़ गोरखपुरी खो के इक शख्स को हम पूछते फिरते हैं यही. जिसकी तकदीर बिगड़ जाए वो करता क्या है ?  निगहे-शौक़१ में और दिल ...

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